कुछ लड़कियां औरतें होतीं हैं …

लड़की से औरत बनने की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण विकास की यात्रा होती है लेकिन कुछ लड़कियों के जीवन में ये यात्रा आती ही नही उन्हें सीधा मंजिल के पड़ाव पर ही रुक कर अचानक पता चलता है की वो औरत बन चुकी हैं या उन्हें समाज में मन लिया गया है | स्त्रियों के साथ ये विडम्बना शुरू से ही रही है की समाज की स्वीकृति या चलन को ही अपना धर्माचरण मानना पड़ता है अपना स्त्रीत्व मानना पड़ता है और इन्होने इस अदृश्य शासन की कीमत अपनी आज़ादी से चुकाई है जिसमे सोचने, बोलने, चुनने और सुने जाने की आज़ादी भी शामिल है |

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